गंगा को जान-बूझकर मारा जा रहा है– राजेन्द्र सिंह

पहले वहां एक निरवरोध प्रवाह बना रहता था. ललिता घाट पर बनने वाला वह प्राकृतिक वृत्त, आज देखा तो नष्ट कर दिया गया है और वहां अब एक त्रिकोण सा निर्मित हो गया है.