आत्मनिर्भरता और गांधी की प्रासंगिकता

इस विपत्तिकाल में बहुत अच्छा लगा जयजगत ,आत्मनिर्भरता ,स्वदेशी ,लोकल स्थानीयता के प्रयोग की अभिलाषा जागरण देश में उभर रहे हैं । ये शब्द मात्र नहीं हैं इनके अर्थ में छिपा है व्यक्ति ,समुदाय ,देश का हित ही नहीं उसका अस्तित्व और उसकी पहिचान भी।