गांधी के बाद आज लोहिया ही सबसे ज्यादा प्रासंगिक हैं

लोहियावादियों के बारे में वह जुमला ही चल पड़ा कि वे दल तोड़क होते हैं. खंड-खंड में बंटने को अभिशप्त, खुद को लोहियावादी मानने वाले कांग्रेस, भाजपा, जनता दल, सजपा, तेलुगु देशम से आइपीएफ तक फैले हैं.