गरीब की दृष्टि से –गरीबी का दर्शन

रीब की दृष्टि में उसकी गरीबी का कारण अमीर नहीं। ईश्वर को भी वह दोषी नहीं समझता। गरीब सैकड़ों वर्ष पूर्व से आज तक अपने भाग्य को ही गरीबी का कारण मानता है। दरिद्रतापूर्ण जीवन जीने की नियति उनके लिए ईश्वर प्रदत्त पूर्वजन्मों के कर्मों के प्रायश्चित स्वरूप है।