सम्मान की रेशमी गरिमा पर मुफ़लिसी के पैबंद

हने के लिए मजबूर है। यह मजबूरी महज दो-चार या दर्जन भर लोगों की नहीं है बल्कि अनगिनत सम्मानित लोग आज ज़िन्दगी में रोटी की तकलीफें झेल रहे हैं।