दादासाहब फाल्के से सम्मानित मजरूह सुल्तानपुरी का नाम उनके अपने ही गृहनगर में जमींदोज
वे अपने उसूलों के बेहद पक्के थे. कुछ तय कर लिया तो अपने फायदे के लिए भी उसूल से डिग नहीं सकते थे. बात गलत हो तो वे उस पर अपना गुस्सा निकालने से भी नहीं कतराते, चाहे वह बात खुद देश के प्रधानमंत्री पंडित नेहरू की ही क्यों न हो!
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