महाशिवरात्रि पर्व –रूद्र और शिव के समन्वित स्वरूप हैं देवाधिदेव महादेव
लोकजीवन में शिव भोलेशंकर अवढर दानी के रूप में पूजित हैं। शिव के भोलेपन का दुरपयोग करके लोकजीवन में गंजेड़ी ,भंगेड़ी ,नशेबाज और बावला के रूप में प्रतिस्थापित करने का कुत्सित प्रयास किया जाने लगा। शिव को पागल श्मशानवासी ,औघड़ आदि समझना बड़ी भूल है जो कुत्सित मनोवृत्ति का द्योतक है। ज्ञान के प्रतिमूर्ति ,योगेश्वर ,जगद्गुरु सभी ज्ञान विज्ञानं के आदि स्रोत हैं –विद्यानां प्रभवे चैव विद्यानाम पतये नमः –आप विद्या के आदिकारण और स्वामी हैं आपको नमस्कार।
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