उत्तराखंड का माता पूर्णागिरी शक्तिपीठ मंदिर, यहीं गिरी थी माता की नाभि

बुजुर्गों के अनुसार कुछ साल पहले तक शाम होते ही यहां एक बाघ (माता की सवारी) आता था, जो माता के मंदिर के पास ही सवेरे तक रुकता. इस कारण उन दिनों में लोग शाम होते ही यह स्थान खाली कर देते थे. अभी भी रात में यहां जाना वर्जित माना जाता है. मान्यता है कि यहां रात के समय केवल देवता ही आते हैं.