जेपी को अंतिम विदाई

मैं अकेला राजेंद्र नगर स्थित वाहिनी कार्यालय के लिए पैदल चल पड़ा। जोर से भूख लगी थी। लोहानीपुर में एक झोपड़ी नुमा होटल में खाने बैठ गया। जेपी – लोकनायक जयप्रकाश नारायण की अंत्येष्टि का आंखों देखा विवरण रेडियो पर आ रहा था। सुना- जेपी के भतीजे (नाम याद नहीं) ने मुखाग्नि दी…और मैं अधूरा खाना छोड़ कर उठ खड़ा हुआ। पैसे देकर बाहर आ गया।