सरकार की नीतियों से ख़ादी क्षेत्र कमजोर और रोज़गार के अवसर कम
काका साहब कालेलकर ने मंत्र दिया था अ- सरकारी, असर- कारी। उस दृष्टि से काम करो। विनोबा जी की इसी बात को आधार बनाकर खादी संस्थाएं लगातार कार्य कर रही है, परन्तु उनका मूल तत्व अ-सरकारी अर्थात खादी संस्थाएं सरकार पर निर्भरता छोड़े एक दो संस्थाओं को छोड़ कर पिछले चालीस वर्षों में पूर्ण नहीं हो पाया। खादी संस्थाओं की अपनी मज़बूरी रही है। परन्तु खादी ग्रामोद्योग आयोग की भी कभी ऐसी मंशा नहीं रही कि खादी संस्थाएं उसके चंगुल से मुक्त हो जाये, क्योंकि तब उसका अस्तित्व भी संकट में पड़ जायेगा।
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