जीवामृत खेत की मिट्टी के लिए अमृत समान है
संस्था के अध्यक्ष दीपक पचौरी ने कार्यशाला को संबोधित करते हुए कहा कि प्राचीन काल में मानव स्वास्थ्य के अनुकुल तथा प्राकृतिक वातावरण के अनुरूप खेती की जाती थी, जिससे जैविक और अजैविक पदार्थो के बीच आदान-प्रदान का चक्र निरन्तर चलता रहता था, जिसके फलस्वरूप जल, भूमि, वायु तथा वातावरण प्रदूषित नहीं होता था। लेकिन वर्तमान में जैविक कृषि को अपनाकर मिट्टी में सुधार करके स्वास्थ्य में भी लाभ प्राप्त कर सकते हैं ।
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