भारत में अध्यात्म भी लोक मंगल का उपकरण है और यथार्थवादी
संसार प्रत्यक्ष है। इसी संसार में जीवन है। यह असार नहीं। संसार के कुछ अंश अल्पकालिक रूप में होते हैं। उनका उदय होता है, अस्त भी होता है। यह प्रकृति की स्वाभाविक कार्यवाही है। अल्पकालीन होने के कारण उन्हें असार नहीं कहा जा सकता।
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