गांधी की धर्मनिरपेक्षता

गांधीजी द्वारा खिलाफत के समर्थन में बीज ढूंढना तर्कदीन होगा। आप यदि मुसलमानों की पृथकतावादी सोच को राजनेता अपने सामयिक लाभ के साथ जोड़कर व्यापक बनाते है तेा वे राष्ट्रपिता ही नहीं राष्ट्र के साथ भी द्रोह करते हैं। उन्हें हक नहीं है कि वे राजघाट जाये और बापू को ढोंगी श्रद्धांजलि दे।