एक थी ‘घोषित इमरजेंसी’ और एक है ‘अघोषित आपातकाल’ !

कुख्यात ‘इमरजेंसी या आपातकाल’ को लेकर राहुल की स्वीकारोक्ति बड़े साहस का काम है। ऐसा करके उन्होंने उच्च पदों पर बैठे लोगों के लिए बड़ी चुनौती खड़ी कर दी है। वह यूँ कि अब वे भी अपनी कम से कम किसी एक गलती को तो स्वीकार करके खेद व्यक्त करें। और साहस का काम इसलिए कि जून 1975 में जब आपातकाल लगाया गया तब राहुल केवल पाँच साल के थे। उनके पिता राजीव गांधी विदेश से प्रशिक्षण लेकर लौटने के बाद उस एयर इंडिया का विमान चला रहे थे जिसे बेचने के लिए इस समय ख़रीदार तलाशे जा रहे हैं। राजीव की आज के जमाने के नेता-पुत्रों की तरह न तो राजनीति करने में कोई रुचि थी और न ही क्रिकेट की किसी सल्तनत पर क़ब्ज़ा करने में।