स्वस्थ रहना है तो किस प्रकार करें भोजन

भोजन तो बहुत पौष्टिक और स्वादिष्ट मिल गया . पूरी थालीसजकर आ गयी . पर खाने का सही तरीक़ा क्या है ? पहले मीठाखायें या खट्टा और कब पियें मट्ठा ? और खाने के बाद क्या खायें? अनाज के साथ दूध लें कि नहीं . खाने के बाद तुरंत नहाने सेक्या नुक़सान होगा .पत्रकार राम दत्त त्रिपाठी ने ये सारे सवाल पूछे वैद्य डा मदन गोपाल वाजपेयी से . भोजन करते समय इन 6 रस के क्रम का ध्यान रखना भी अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। भोजन में सबसे पहले मधुर रस का सेवन करना चाहिए क्योंकि भोजन आरंभ करते समय पेट खाली होने से वात का प्रकोप सर्वाधिक होता है और मधुर रस गुरु होने से वातरोधी होता है। साथ ही, उस समय सभी पाचक रस सक्रिय होते हैं इसलिये गुरु होने पर भी मधुर रस शीघ्र पच जाता है। भोजन के मध्य अम्ल एवं लवण रस का सेवन करना चाहिए क्योंकि पाचन क्रिया आरंभ होने से उस समय पित्त प्रकुपित होता है। अम्ल एवं लवण रस से पित्त का शमन हो जाता है। भोजन के अंत में कटु, तिक्त एवं कषाय रस का सेवन करना चाहिए क्योंकि उस समय कफ बढ़ा हुआ होता है और कटु तिक्त एवं कषाय रस कफ का शमन करते हैं। आंवला त्रिदोष शामक होने से इसे कभी लिया जा सकता है। जिनकी पाचन शक्ति कमजोर होती है उन्हें भोजन के पूर्व अदरक एवं सेंधा नमक का सेवन करना चाहिए इससे पाचक रस सक्रिय हो जाते हैं और पाचन सम्यक होता है।