जलवायु परिवर्तन और पृथ्वी पर जीवन के समक्ष चुनौतियाँ

इस स्थिति के बाद भी विश्व के हर भाग में, हर देश में, गत हजारों वर्षों की समयावधि में निरन्तर बढ़ती विकास-प्रक्रिया में प्राकृतिक संसाधनों का दोहन हुआ। वनस्पति का उपयोग हुआ। इससे प्रकृति, जो जलवायु की शुद्धता, स्थिरता और समृद्धि के लिए अतिमहत्त्वपूर्ण –निर्णायक भूमिका का निर्वहन करती है (पर्वत, नदियाँ और सभी प्राकृतिक स्रोत भी जिसमें सम्मिलित हैं), प्रभावित हुई। लेकिन विकास-प्रक्रिया में यह अपरिहार्य, आवश्यक और स्वाभाविक था, और है।