क्या भागवत हिंदुओं को अहिंसक उग्रवादी बनाना चाहते हैं ?

मुसलिमों के मुक़ाबले हिंदुओं में कम प्रजनन दर को ही अगर अखंड भारत की ताक़त का पैमाना मान लिया जाए तो भागवत को अभी से भय है कि आगे आने वाले पच्चीस-पचास सालों में समस्त हिंदू पूरी तरह से श्रीहीन और शक्तिहीन हो जाएँगे। भागवत इस गम्भीर विषय को भविष्य में संघ प्रमुख के पदों पर क़ाबिज़ होने वाले योग्य व्यक्तित्वों की चिंता के लिए नहीं छोड़ना चाहते हैं। उन्हें लगता होगा कि तब तक बहुत देर हो जाएगी।