वायु प्रदूषण से मृत्यु की संख्या में अभूतपूर्व वृद्धि , WHO ने किया माणकों में बदलाव
सल्फर डाइऑक्साइड हमारे श्वसन तंत्र को प्रभावित करता है और साथ ही एंफिसेमा का कारक बनता है एवं हमारे फेफड़ों की क्षमता को प्रभावित करता है। कार्बन मोनोऑक्साइड की अधिक मात्रा हमारे लिए जहर की तरह होती है जिसे कारण हमारी मृत्यु भी हो सकती है क्योंकि कार्बन मोनोऑक्साइड की एफिनिटी हीमोग्लोबिन के साथ ऑक्सीजन की तुलना में कहीं ज्यादा है . अतः जब यह हमारे शरीर तक पहुंचता है तो धीरे-धीरे पूरे शरीर में ऑक्सीजन की सप्लाई को प्रभावित करता है जिसके कारण मृत्यु तक हो सकती है। ऐसी स्थिति में इन सभी प्रदूषकों के वातावरण में कंसंट्रेशन को कम करना ही अच्छे स्वास्थ्य को पाने का पहला कदम है।
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